वोट चोरी विवाद में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह केवल बेंगलुरु में नहीं, बल्कि देशभर के कई निर्वाचन क्षेत्रों में हुआ है। जानिए पूरी खबर विस्तार से
राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर सीधा हमला
वोट चोरी के आरोपों को लेकर देश की सियासत में फिर से गर्मी आ गई है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर तीखे हमले किए हैं। उन्होंने साफ कहा कि यह मामला सिर्फ बेंगलुरु तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई निर्वाचन क्षेत्रों में वोट चोरी हुई है।
विवाद की पृष्ठभूमि
हाल ही में खबर आई थी कि चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को नोटिस भेजा है, जिसके बाद विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सांसद चुनाव आयोग और संसद के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे। इसी दौरान राहुल गांधी का बयान सामने आया, जिसने विवाद को और भड़का दिया।
“मैं शपथ क्यों लूँ? यह उनका डाटा है” – राहुल गांधी
जब राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या वे चुनाव आयोग द्वारा मांगे गए शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे, तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया –
“मैं शपथ पर हस्ताक्षर क्यों करूं? यह उनका डाटा है, मेरा नहीं। वे इसे अपनी वेबसाइट से लें। यह सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश है।”
इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन एक दिन सच्चाई सबके सामने आ जाएगी।
विपक्षी मार्च और पुलिस कार्रवाई
सोमवार को विपक्षी सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकालने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोककर सभी को हिरासत में ले लिया। इस पर राहुल गांधी ने कहा –
“300 सांसद एक दस्तावेज लेकर चुनाव आयोग जाना चाहते थे, लेकिन हमें रोका गया। यह अब सिर्फ राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि संविधान और एक व्यक्ति-एक वोट की लड़ाई है।”
“मल्टीपल मैन, मल्टीपल वोट” का आरोप
राहुल गांधी ने कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां “मल्टीपल मैन, मल्टीपल वोट” का मामला साफ दिखा। उन्होंने चेतावनी दी कि अब चुनाव आयोग के लिए इस मुद्दे को छिपाना मुश्किल होगा, क्योंकि पूरा विपक्ष इसके खिलाफ एकजुट है।
विपक्ष का सवाल – लोकतंत्र कहां है?
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा –
“सरकार ने हमें 30 सेकंड में मार्च करने से रोक दिया। सांसदों को चुनाव आयोग जाने की आजादी नहीं है। क्या यही लोकतंत्र है?”
निष्कर्ष
राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच यह टकराव अब केवल आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि आयोग इस विवाद पर क्या कदम उठाता है या यह मामला सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रह जाता है।