बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले ही वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़े को लेकर एक बड़ा विवाद उभर गया है। चुनाव आयोग और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर टकराव गहराता जा रहा है। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम विजय सिन्हा पर दो वोटर कार्ड रखने और वोटर लिस्ट में धांधली करने का आरोप लगाया है। इस आर्टिकल में जानिए इस पूरे मामले की विस्तार से जानकारी और इसका राजनीतिक असर।
बिहार में वोटर लिस्ट विवाद: क्या है मामला?
हाल ही में बिहार की वोटर लिस्ट में 3 लाख घरों के हाउस नंबर ‘0’ होने जैसे विवादास्पद खुलासे हुए हैं। तेजस्वी यादव ने इसे ‘मजाक’ करार दिया और कहा कि चुनाव आयोग और डिप्टी सीएम को लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को मजबूत करने की जिम्मेदारी समझनी होगी।
तेजस्वी यादव के आरोप और चुनाव आयोग की भूमिका
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर पक्षपात और बीजेपी की मदद करने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग विपक्ष से सवाल पूछता है लेकिन बीजेपी नेताओं पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं करता।
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का फर्जीवाड़ा?
तेजस्वी यादव ने खुलासा किया कि बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के नाम पर दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दो वोटर कार्ड हैं। पटना के बांकीपुर और लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में उनके नाम दो वोटर लिस्ट में हैं।
- बांकीपुर का एपिक नंबर: AFSO 853341
- लखीसराय का एपिक नंबर: IAF 3939337
विजय सिन्हा ने स्वीकार किया है कि उन्होंने 5 अगस्त को एक सीट से वोट कटवाने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन सवाल उठते हैं कि तब तक वे दो जगह वोट डालते रहे होंगे।
तेजस्वी यादव की मांगें और चुनाव आयोग से सवाल
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से पूछा है कि डिप्टी सीएम के खिलाफ भी क्या कार्रवाई होगी? उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी नेता गलती पर पाए जाते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए और एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। वहीं, चुनाव आयोग को भी एसआईआर वापस लेना और माफी मांगनी चाहिए यदि गलती उसकी होती है।
राजनीतिक लड़ाई और आगामी विधानसभा चुनाव
यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष की चिंता है कि वोटर लिस्ट में धांधली से चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
निष्कर्ष
बिहार में वोटर लिस्ट फर्जीवाड़े का आरोप और चुनाव आयोग पर सवालों की बौछार ने राजनीतिक माहौल को गरम कर दिया है। डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के नाम से जुड़े दो वोटर कार्ड के खुलासे ने इस विवाद को और गंभीर बना दिया है। आने वाले चुनावों में इस मुद्दे का राजनीतिक महत्व और बढ़ सकता है। जनता की निगाहें इस मामले की निष्पक्ष जांच और चुनाव आयोग की कार्रवाई पर टिकी हैं।