दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। नसबंदी, आश्रय गृह, हेल्पलाइन और त्वरित कार्रवाई सहित कई सख्त आदेश जारी किए। पूरी जानकारी पढ़ें।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी नाराजगी
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे ने आखिरकार सुप्रीम कोर्ट को भी नाराज कर दिया। अदालत ने स्थानीय निकायों और नागरिक प्रशासन को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि आवारा कुत्तों की समस्या पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
मुख्य आदेश
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने सुनवाई के दौरान निम्न आदेश दिए—
- पकड़ो और आश्रय में रखो: आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी करने के बाद उन्हें सड़कों पर वापस न छोड़ा जाए।
- नसबंदी अभियान: दिल्ली एनसीटी, एमसीडी, एनडीएमसी और NCR के अन्य निकाय तत्काल अभियान शुरू करें।
- आश्रय स्थल: आठ हफ्तों में 5000 आवारा कुत्तों को रखने के लिए पर्याप्त आश्रय गृह तैयार किए जाएं।
- हेल्पलाइन नंबर: एक सप्ताह के भीतर डॉग बाइट घटनाओं की रिपोर्ट के लिए हेल्पलाइन स्थापित हो।
- त्वरित कार्रवाई: किसी भी शिकायत पर चार घंटे के भीतर कार्रवाई हो।
रिपोर्टिंग और मॉनिटरिंग
- सभी निकाय दैनिक रिकॉर्ड रखें कि कितने कुत्ते पकड़े गए, कहां रखे गए और क्या उनकी नसबंदी हुई।
- रेबीज और कुत्तों के काटने के सभी मामलों की रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी।
- नसबंदी के बाद कुत्तों को वापस छोड़ने की प्रथा को सुप्रीम कोर्ट ने “बेतुका” करार दिया।
जनहित और सुरक्षा
पीठ ने कहा कि नवजात और छोटे बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी कीमत पर वे आवारा कुत्तों के हमलों के शिकार न बनें। यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस कार्य में बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होगी।
केंद्र सरकार का रुख
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अदालत से अपील की कि इस मामले में सख्त हस्तक्षेप जरूरी है, क्योंकि नसबंदी केवल संख्या को नियंत्रित करती है, लेकिन रेबीज संक्रमण की संभावना को कम नहीं करती।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या पर बड़ा बदलाव ला सकता है। यदि स्थानीय प्रशासन इन आदेशों का सख्ती से पालन करता है, तो न केवल हमलों की घटनाएं कम होंगी बल्कि रेबीज जैसे खतरनाक संक्रमण पर भी रोक लगेगी।