अमेरिका में कॉलेज की पढ़ाई दुनिया भर के छात्रों का सपना रही है। लेकिन हाल के राजनीतिक बदलावों ने वहां शिक्षा के रास्ते में कई अनिश्चितताएं पैदा कर दी हैं। इससे कई छात्र नए विकल्पों की तलाश में हैं।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए नए विकल्प: कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और चीन
आज कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देश छात्रों के लिए नए आकर्षक विकल्प बनकर उभर रहे हैं। खासतौर पर जर्मनी, जहां शिक्षा की गुणवत्ता उच्च और लागत कम है, छात्रों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
जर्मनी की बढ़ती लोकप्रियता और छात्र संख्या
साल 2023 में जर्मनी में कुल छात्रों का 16% विदेशी छात्र थे, यानी लगभग 5 लाख छात्र। जर्मनी में पढ़ने वाले लगभग 45% अंतरराष्ट्रीय छात्र दस साल बाद वहीं रहते हैं, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक है।
अमेरिका में विदेशी छात्रों की संख्या और भारत का प्रमुख स्थान
अमेरिका में कुल छात्रों में 6% विदेशी हैं, जो करीब 10 लाख से अधिक छात्र हैं। भारत से अमेरिका में 3 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जो सबसे ज्यादा है। चीन, दक्षिण कोरिया, कनाडा और ताइवान इसके बाद आते हैं।
वैश्विक उच्च शिक्षा बाजार और आर्थिक प्रभाव
दुनिया भर में उच्च शिक्षा का कारोबार लगभग 750 अरब डॉलर का है। उत्तरी अमेरिका और यूरोप इसके सबसे बड़े बाजार हैं। सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि पढ़ाई के बाद नौकरी और स्थायी रोजगार के अवसर भी देशों की लोकप्रियता बढ़ाते हैं।
फुलब्राइट स्कॉलरशिप: शिक्षा और शांति का प्रतीक
1946 में शुरू हुई फुलब्राइट स्कॉलरशिप शिक्षा के साथ देशों के बीच शांति और समझ बढ़ाने में मदद करती है। हाल ही में इसके बोर्ड ने राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ विरोध जताया है।
जर्मनी और यूरोप में बढ़ती नौकरियों की मांग
जर्मनी में 2030 तक लगभग 20 लाख कुशल कर्मचारियों की कमी होने का अनुमान है। यूरोप में छात्र पढ़ाई के बाद स्थायी रोजगार पाने के लिए प्रयासरत हैं, हालांकि अमेरिका इस मामले में बेहतर मौका प्रदान करता है।
निष्कर्ष
अमेरिका में राजनीतिक और नीतिगत बदलावों के कारण छात्र अब नए देशों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जर्मनी, कनाडा, फ्रांस और चीन जैसे देश अपनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर अवसरों के कारण वैश्विक शिक्षा बाजार में अपनी जगह मजबूत कर रहे हैं। ऐसे में देशों को अपने शैक्षिक और रोजगार नीतियों को सुधारकर युवाओं के लिए आकर्षक बनाना होगा।