अमेरिकी कंपनी अंतरिक्ष में पहली बार बियर बनाने का प्रयोग करने जा रही है। जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण, स्पेस रिसर्च में इसका महत्व और भारत को मिलने वाले संभावित फायदे।
स्पेस में पहली बार बियर बनाने की तैयारी
धरती पर तो बियर बनाने की प्रक्रिया आम बात है, लेकिन अब यह प्रयोग अंतरिक्ष में होने जा रहा है। अमेरिकी कंपनी StarB Growing Up ने एक अनोखी पहल की है, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहली बार बियर तैयार की जाएगी।
लेकिन यह कोई पार्टी का प्लान नहीं, बल्कि साइंस, रिसर्च और भविष्य के स्पेस मिशनों को आसान बनाने की सोच का हिस्सा है। इस प्रयोग के लिए एक विशेष डिवाइस बनाई गई है, जिसमें खमीर, जौ, पानी और हॉप्स मिलाकर फर्मेंटेशन किया जाएगा। खास बात यह है कि यह प्रक्रिया माइक्रो ग्रेविटी यानी बेहद कम गुरुत्वाकर्षण में होगी।
पहले भी हो चुके हैं अंतरिक्ष में फूड एक्सपेरिमेंट्स
अंतरिक्ष में खाने-पीने को लेकर यह पहला प्रयोग नहीं है। इससे पहले भी कई रोचक प्रयास किए गए हैं:
- भारतीय प्रयोग – 2025 में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में मूंग और मेथी के बीज उगाकर भारत का पहला स्पेस फार्मिंग प्रयास किया।
- स्पेस फार्मिंग – नासा और अन्य देशों ने लेट्यूस, मूली और मटर जैसी सब्जियां स्पेस में उगाईं।
- 3D प्रिंटेड फूड – लंबे मिशनों के लिए एस्ट्रोनॉट्स को प्रोटीन और पोषण देने हेतु 3D प्रिंटेड फूड का प्रयोग हुआ।
- कॉफी मशीन – 2015 में ISS पर खास कॉफी मशीन भेजी गई, जिससे पहली बार अंतरिक्ष में कॉफी बनी।
- कुकीज़ और चॉकलेट – माइक्रो ग्रेविटी में कुकीज़ बेक करने के भी सफल प्रयोग हुए हैं।
अब बियर बनाना इसी कड़ी का अगला चरण है।
क्या अंतरिक्ष की बियर अलग होगी?
माइक्रो ग्रेविटी में फर्मेंटेशन का प्रोसेस धरती से अलग होता है। वैज्ञानिक जानना चाहते हैं:
- बिना गुरुत्वाकर्षण के खमीर कैसे काम करता है?
- स्वाद, रंग और असर में क्या बदलाव आता है?
- केमिकल और फिजिकल रिएक्शन कैसे बदलते हैं?
हालांकि, अंतरिक्ष यात्री फिलहाल बियर पी नहीं सकेंगे क्योंकि NASA और अन्य एजेंसियों ने अंतरिक्ष में शराब पीने पर रोक लगा रखी है। यह प्रयोग सिर्फ रिसर्च के लिए है।
भारत को कैसे होगा फायदा?
भारत तेजी से अपने स्पेस प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहा है — चाहे वह गगनयान, चंद्रयान या आदित्य मिशन हो। लंबे समय तक स्पेस में रहने के लिए खाने-पीने की ऑटोमेटेड टेक्नोलॉजी बेहद जरूरी है।
- इस तरह के प्रयोग भारत को भविष्य में नई तकनीक तक पहुंच दिला सकते हैं।
- भारतीय फूड और स्पेस स्टार्टअप्स के लिए यह एक बड़ा अवसर बन सकता है।
- “Made in India” फूड को अंतरिक्ष में ले जाने का सपना साकार हो सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लोग अब यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या आने वाले समय में अंतरिक्ष में रेस्टोरेंट या स्पेस बार खुल सकते हैं? क्या स्पेस टूरिज्म के साथ वहां खाने-पीने का पूरा सेटअप होगा?
भले ही यह अभी भविष्य की बात लगे, लेकिन रिसर्च और टेक्नोलॉजी की तेज रफ्तार को देखते हुए यह दिन दूर नहीं जब अंतरिक्ष में रहना, खाना, पीना और पार्टी करना आम हो जाएगा।
निष्कर्ष
स्पेस में बियर बनाने का यह प्रयोग सिर्फ एक पेय तैयार करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि मानव सभ्यता के भविष्य की दिशा में उठाया गया अहम कदम है। यह साबित करता है कि इंसान सिर्फ धरती तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अंतरिक्ष में भी एक नया जीवन और नई संस्कृति बना सकता है।
तो अगली बार अगर कोई कहे “चलो चांद पर पार्टी करते हैं”, तो शायद वह मज़ाक नहीं होगा!