ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी भविष्य मल्लिका की भविष्यवाणियां: तीसरा विश्व युद्ध और कलयुग के अंत के संकेत

ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से जुड़ी छह भविष्यवाणियां समय के साथ सच साबित हुई हैं। इनमें से तीन भविष्यवाणियां खासकर कलयुग के अंत की ओर इशारा करती हैं, जो आज की दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

ये भविष्यवाणियां किसी विदेशी बाबा वेंगा या नास्त्रेदमस ने नहीं की हैं, बल्कि सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथ भविष्य मल्लिका में दर्ज हैं। संत अच्युतानंद दास समेत पांच शाखाओं द्वारा रचित यह ग्रंथ जगन्नाथ पुरी और उससे जुड़े रहस्यों को उजागर करता है।

भविष्य मल्लिका में क्या लिखा है?

भविष्य मल्लिका के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर से जुड़े अनपेक्षित घटनाएं जैसे कि कोई पत्थर गिरना, झंडे में आग लगना, या मंदिर के गुंबद (शिखर) पर पक्षियों का आना, विश्व स्तर पर आने वाली आपदाओं, महामारियों और महाविनाश के संकेत हैं।

कोरोना महामारी का सटीक पूर्वाभास

2019 में जब ओडिशा में फानी तूफान आया, तब मंदिर का प्राचीन बरगद का पेड़ गिरा। यह घटना भविष्य मल्लिका की उस चेतावनी को सच साबित करती है, जिसमें लिखा है कि बरगद का पेड़ गिरने के बाद दुनिया में संकट आएगा। ठीक उसी समय कोरोना महामारी फैली, जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया।

तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी और उसकी अवधि

भविष्य मल्लिका में तीसरे विश्व युद्ध का भी उल्लेख है, जो लगभग 6 साल 6 महीने तक चलेगा। इसमें चीन और इस्लामिक देशों का भारत पर आक्रमण होगा, लेकिन भारत विजयी होकर उभरेगा।

ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर को दुश्मनों के हमलों से कोई नुकसान नहीं होगा, चाहे वे बमबारी जैसी कोशिश क्यों न करें। इस युद्ध के दौरान वैश्विक हालात इतने खराब होंगे कि तमाम प्राकृतिक और मानवजनित आपदाएं सामने आएंगी।

मंदिर के झंडे में आग लगना और नीलचक्र का टेढ़ा होना

2020 में मंदिर के झंडे में आग लगने की घटना और गुंबद पर पक्षियों का आना, साथ ही सुदर्शन चक्र (नीलचक्र) का टेढ़ा होना, महाविनाश के स्पष्ट संकेत माने गए हैं। यह संकेत 19 मार्च 2020 के एकादशी के दिन आया, जब मंदिर में चावल खाने की प्रथा के बीच यह घटना हुई।

नीलकंठ पक्षी का शिखर पर आना और नीलचक्र का टेढ़ा होना भविष्य मल्लिका की महाविनाश संबंधी भविष्यवाणियों की पुष्टि करता है।

दो सूर्य का उगना और सात दिनों तक अंधेरा छाना

भविष्य मल्लिका में दो सूर्य के दिखने की बात कही गई है, जो कि असल में एक तेज चमकदार खगोलीय पिंड (उल्कापिंड) होगा। यह बंगाल की खाड़ी में गिरने वाला उल्कापिंड होगा, जिससे ओडिशा और आसपास के इलाके जलमग्न हो जाएंगे।

इसके साथ ही भविष्य मल्लिका में सात दिनों तक दुनिया में घना अंधेरा छाने की भी भविष्यवाणी है, जो पहले भी कई जगहों पर आंशिक रूप से महसूस किया गया था। यह स्थिति वैश्विक विनाश के भयावह संकेतों में से एक है।

ओडिशा के राजा और मंदिर का भविष्य

आज के समय में ओडिशा के राजा दिव्य सिंह गजपति और गगन गजपति मंदिर के संरक्षक हैं। भविष्य मल्लिका में उल्लेख है कि इनके शासनकाल में मंदिर समुद्र में डूब जाएगा।

कलयुग की आयु घटती जा रही है क्योंकि पाप बढ़ रहा है, और इसीलिए कई विद्वान मानते हैं कि कलयुग का अंत आने वाले कुछ सौ वर्षों में हो सकता है।

कलयुग के अंत और चौथे विश्व युद्ध का सवाल

जहां तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी स्पष्ट रूप से भविष्य मल्लिका में दर्ज है, वहीं चौथे विश्व युद्ध का कहीं उल्लेख नहीं मिलता। कई विदेशी भविष्यवक्ताओं ने भी चौथे विश्व युद्ध के बारे में कोई ठोस सूचना नहीं दी है।

यह भविष्यवाणी बताती है कि तीसरा विश्व युद्ध कलयुग के अंत से कुछ समय पहले होगा, और इसके बाद ही विश्व का महाविनाश होगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी ये प्राचीन भविष्यवाणियां आज के वैश्विक परिदृश्य में गंभीर चेतावनी के रूप में सामने आ रही हैं। कोरोना महामारी, प्राकृतिक आपदाओं, युद्धों और खगोलीय घटनाओं के साथ ये संकेत बतलाते हैं कि मानवता एक बड़े संकट के मुहाने पर है।

चाहे आप इन भविष्यवाणियों को मानें या नहीं, जगन्नाथ मंदिर से जुड़े ये रहस्यमय संकेत और भविष्य मल्लिका के लेखन हमें सतर्क रहने और प्रकृति तथा मानवता के प्रति जागरूक होने की सीख देते हैं।

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