भारत ने पहली स्वदेशी हाइड्रोजन ट्रेन “नमो ग्रीन रेल” लॉन्च की है, जो जीरो इमिशन तकनीक पर आधारित है। जानिए इसकी स्पीड, क्षमता, लागत और भविष्य की योजना के बारे में पूरी जानकारी।
भारतीय रेलवे का ऐतिहासिक कदम
भारतीय रेलवे ने अपनी पहली स्वदेशी हाइड्रोजन ट्रेन तैयार कर इतिहास रच दिया है। इस अनोखी ट्रेन की जानकारी खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करके दी।
इस ट्रेन को खासतौर पर “नमो ग्रीन रेल” नाम दिया गया है, जो देश में पर्यावरण-हितैषी और आधुनिक तकनीक के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
हाइड्रोजन पावर से चलने वाली ट्रेन
यह ट्रेन पूरी तरह हाइड्रोजन पावर पर आधारित है, जिसे दुनिया के सबसे क्लीन फ्यूल में गिना जाता है।
इस प्रोजेक्ट के तहत रेलवे ने अपने 1600 हॉर्सपावर के दो डीजल इंजनों को 1200 हॉर्सपावर के हाइड्रोजन इंजनों में बदल दिया।
यह कार्य चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में पूरा हुआ।
डिजाइन और क्षमता
- कोच की संख्या: 10
- इंजन: 2 (एक आगे और एक पीछे)
- स्पीड: 110 किमी/घंटा
- क्षमता: एक बार में लगभग 1200 यात्री
- इंजन पर लिखा नाम: Namo Green Rail
इस ट्रेन का डिज़ाइन इस तरह किया गया है कि यह तेज़, आरामदायक और प्रदूषण-रहित यात्रा का अनुभव दे सके।
पर्यावरण के लिए वरदान
हाइड्रोजन फ्यूल का सबसे बड़ा फायदा है कि इससे जीरो इमिशन होता है, यानी यह वायु प्रदूषण नहीं फैलाता।
यह न केवल भारत के कार्बन फुटप्रिंट को कम करेगा, बल्कि रेलवे के ग्रीन एनर्जी मिशन को भी गति देगा।
भविष्य की योजना और लागत
भारतीय रेलवे का लक्ष्य है कि भविष्य में 35 हाइड्रोजन ट्रेनें तैयार की जाएं।
हर एक ट्रेन की अनुमानित लागत लगभग ₹80 करोड़ होगी।
इससे न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि भारत स्वच्छ ऊर्जा परिवहन के क्षेत्र में अग्रणी बन जाएगा।
निष्कर्ष
नमो ग्रीन रेल केवल एक ट्रेन नहीं, बल्कि भारत के लिए एक हरित क्रांति की शुरुआत है।
स्वदेशी तकनीक, पर्यावरण-हितैषी ऊर्जा और आधुनिक डिज़ाइन के साथ यह ट्रेन आने वाले समय में देशभर में ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन का नया मानक बनेगी।