अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। हाल ही में अमेरिका और दक्षिण कोरिया की संयुक्त सैन्य कवायद उलची फ्रीडम शील्ड 25 के दौरान उत्तर कोरिया ने अपने दो नए एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया। यह कदम अमेरिका और दक्षिण कोरिया दोनों के लिए सीधा संदेश माना गया। इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन से मिलने की इच्छा जताकर सभी को चौंका दिया।
ट्रंप का प्रस्ताव और 2019 की यादें
व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें किम जोंग उन से मिलने में खुशी होगी। यह बयान उस वक्त आया जब ट्रंप दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जेम के साथ मुलाकात कर रहे थे। माना जा रहा है कि यह मुलाकात साल के अंत तक हो सकती है। इस घोषणा ने सबको 2019 की याद दिला दी जब किम जोंग उन ने अपनी बख्तरबंद ट्रेन से 4000 किमी का सफर तय कर वियतनाम के हनोई में ट्रंप से मुलाकात की थी। उस बैठक का मकसद परमाणु निरस्त्रीकरण पर चर्चा था, लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया।
मौजूदा हालात और अमेरिका की चिंताएं
ट्रंप और किम की संभावित मुलाकात की बड़ी वजह अमेरिका की मौजूदा चिंताएं हैं। ईरान का परमाणु कार्यक्रम अमेरिका के लिए सिरदर्द बना हुआ है। जून 2025 में यूएस एयरफोर्स ने ईरान के ठिकानों को नुकसान तो पहुंचाया, लेकिन ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म नहीं हुआ। दूसरी ओर, किम रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस का खुला समर्थन कर रहे हैं। वे न केवल अपने सैनिक भेज रहे हैं बल्कि हथियार और रसद भी मुहैया करा रहे हैं। यह सब अमेरिका की नाराज़गी का कारण है।
उत्तर कोरिया की बढ़ती ताकत
उत्तर कोरिया तेजी से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उसके पास पहले से लगभग 50 परमाणु हथियार हैं और 70 से 90 और हथियार बनाने की पर्याप्त सामग्री है। माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया हर साल पांच से छह नए परमाणु बम बना रहा है। यह स्थिति अमेरिका के लिए गंभीर चुनौती है।
बातचीत की संभावनाएं और किम की रणनीति
संभव है कि ट्रंप उत्तर कोरिया से आक्रामक नीति बदलने की मांग करें और इसके बदले प्रतिबंध हटाने का विकल्प दें। लेकिन इतिहास बताता है कि किम जोंग उन दबाव में आकर झुकने वाले नेता नहीं हैं। वे सीमित रियायतें देने को तैयार हो सकते हैं, लेकिन उनकी सत्ता और परमाणु कार्यक्रम को खतरा नहीं होना चाहिए। रूस और चीन के समर्थन से किम की रणनीति और मजबूत हो चुकी है, जिससे वे अमेरिका के सामने कहीं ज्यादा आत्मविश्वास से खड़े हो सकते हैं।