Supreme Court ने Bihar SIR Voter List पर सुनवाई के दौरान Aadhar पर क्या कहा?

नागरिकता से जुड़े विवादों पर देश की दो अहम अदालतों—सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट—ने हाल ही में महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। दोनों ही अदालतों ने कहा है कि पैन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड जैसे दस्तावेज नागरिकता का प्रमाण नहीं माने जा सकते। आइए जानते हैं, किन मामलों में यह टिप्पणी की गई और इसके पीछे की कानूनी वजह क्या है।

सुप्रीम कोर्ट में बिहार की वोटर लिस्ट पर सुनवाई

बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि सरकार, 2003 की मतदाता सूची में शामिल लोगों को भी दस्तावेज़ न होने पर सूची से बाहर कर रही है। उनका कहना था कि यदि कोई व्यक्ति 2003 की सूची में था और उसने गणना फॉर्म नहीं भरा, तो उसे हटा दिया जा रहा है, जो सही नहीं है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा—

  • आधार कार्ड निर्णायक प्रमाण नहीं है, यह केवल पहचान बताने का साधन है।
  • मौजूदा लिस्ट फिलहाल ड्राफ्ट रोल है, जिसमें त्रुटियां हो सकती हैं, जैसे मृत व्यक्ति का नाम शामिल होना।
  • ऐसे मामलों में लोगों को आपत्ति दर्ज कराने का अवसर उपलब्ध है।

साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में अंतिम निर्णय लेने से पहले प्रक्रिया और तथ्यों की गहन जांच होगी।

बॉम्बे हाईकोर्ट में फर्जी दस्तावेज़ का मामला

दूसरी ओर, बॉम्बे हाईकोर्ट में एक ऐसे व्यक्ति का मामला चल रहा था जिस पर आरोप है कि वह बिना पासपोर्ट या वीजा के भारत में घुसा और बाद में आधार, पैन, वोटर आईडी और यहां तक कि भारतीय पासपोर्ट भी बनवा लिया।

जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा—

  • Citizenship Act साफ-साफ परिभाषित करता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं।
  • आधार, पैन और वोटर आईडी सिर्फ पहचान और सेवाएं देने के लिए हैं, नागरिकता साबित करने के लिए नहीं।
  • ऐसे दस्तावेज़ के आधार पर नागरिकता का दावा कानून के तहत मान्य नहीं होगा।

अदालत ने आरोपी बाबू अब्दुल रऊफ सरदार को ज़मानत देने से इंकार कर दिया और यह स्पष्ट किया कि नागरिकता के मामले में केवल कानूनी प्रावधान ही मान्य होंगे।

कानूनी संदर्भ: Citizenship Act 1955

1955 में पारित नागरिकता अधिनियम (Citizenship Act) में विस्तार से बताया गया है कि—

  • भारतीय नागरिक कौन है,
  • किन परिस्थितियों में नागरिकता दी जा सकती है,
  • और किन हालात में नागरिकता खत्म हो सकती है।

इस कानून के मुताबिक, सिर्फ पहचान संबंधी दस्तावेज रखने से कोई नागरिक नहीं बन जाता।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट, दोनों ने अपने-अपने मामलों में यह साफ कर दिया है कि आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड नागरिकता का निर्णायक सबूत नहीं हैं। ये दस्तावेज़ केवल पहचान और सेवाएं प्रदान करने के लिए हैं।
इस निर्णय का सीधा असर उन मामलों पर पड़ेगा जहां लोग इन दस्तावेज़ों के आधार पर नागरिकता का दावा करते हैं। अदालतों ने स्पष्ट कर दिया है कि नागरिकता तय करने के लिए सिर्फ और सिर्फ कानून में बताए गए प्रावधान ही मान्य होंगे

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