खेती के साथ अब मछली पालन से भी लाखों कमाएं। जानिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और माइक्रो इरीगेशन योजना के तहत मिलने वाले लाभ, सब्सिडी, आवेदन प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज।
खेती के साथ मछली पालन: आय दोगुनी करने का आसान तरीका
आज के समय में किसान केवल खेती पर निर्भर न रहकर आय के नए साधन तलाश रहे हैं। मछली पालन न केवल शौक है बल्कि एक लाभदायक व्यवसाय भी बन चुका है। सरकार भी इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिससे नाव, जाल, सुरक्षा उपकरण से लेकर 40% तक की सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है।
1. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन को व्यवसायिक रूप देने के लिए शुरू की गई है।
मुख्य लाभ:
- नाव, बोट और जाल की सुविधा
- मछली फीड, बायोफ्लॉक टैंक
- 40% तक की सब्सिडी
- सुरक्षा किट, लाइफ जैकेट और जरूरी उपकरण
यह योजना भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है।
2. माइक्रो इरीगेशन योजना
इस योजना का उद्देश्य जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना और मछली पालन के लिए छोटे जलाशय तैयार करवाना है।
मुख्य लाभ:
- तालाब निर्माण
- पानी की पाइपलाइन और सिंचाई संयंत्र
- सरकारी आर्थिक सहायता
सब्सिडी दर राज्य सरकार की भागीदारी के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
किनको मिलेगा लाभ?
- जिन किसानों के पास तालाब हैं या किराए पर लेना चाहते हैं
- युवा जो कृषि के साथ नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं
- Self Help Groups और मत्स्य समितियां
आवेदन की प्रक्रिया
- दस्तावेज तैयार करें: आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, मोबाइल नंबर
- ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन: www.s.up.gov.in पर जाएं
- साइन अप सेक्शन में रजिस्ट्रेशन करें
- मांगी गई जानकारी भरें और दस्तावेज अपलोड करें
- सबमिट करें – लाभ पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मिलेगा
सुरक्षा का विशेष प्रबंध
पहले मछली पकड़ने के दौरान जान-माल के नुकसान की घटनाएं होती थीं। अब मत्स्य विभाग मछली पालकों को लाइफ जैकेट, मजबूत नाव, जाल और अन्य जरूरी उपकरण मुफ्त उपलब्ध करा रहा है।
निष्कर्ष
मछली पालन योजनाएं किसानों के लिए आय का नया और लाभदायक विकल्प हैं। कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने के इच्छुक किसान और युवा इन योजनाओं का लाभ उठाकर न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बन सकते हैं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी योगदान दे सकते हैं।
अगर आप भी इस सुनहरे मौके का फायदा उठाना चाहते हैं, तो आज ही मत्स्य पालन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करें और अपनी जल संपदा को आय का स्रोत बनाएं।