Bihar Voter List Revision: Election Commission ने Supreme Court को दिया जवाब

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले Bihar Assembly Election 2025 Voter List को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है। विपक्ष ने चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें जबरन नाम काटने और मतदाताओं को वोट के अधिकार से वंचित करने के दावे शामिल हैं।

चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष

विवाद के बीच चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। आयोग ने कहा है कि बिहार में किसी भी मतदाता को बिना नोटिस दिए वोटर लिस्ट से बाहर नहीं किया गया है और न ही किसी का मतदान अधिकार छीना गया है। यह जवाब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर दिया गया है, जिसमें लगभग 65 लाख नाम हटाए जाने का मामला उठाया गया था।

65 लाख नाम हटाने का विवाद

सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से इन 65 लाख नामों की जानकारी मांगी थी। आयोग ने बताया कि 7 करोड़ 89 लाख मतदाताओं में से 7 करोड़ 24 लाख लोगों ने अपने नाम की पुष्टि या फॉर्म जमा कर दिए हैं। इसके लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 बीएलओ, 45,000 स्वयंसेवक और बूथ स्तर के एजेंट तैनात किए गए हैं।

छूटे हुए मतदाताओं के लिए पहल

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को समय-समय पर छूटे हुए मतदाताओं की लिस्ट उपलब्ध कराई है, ताकि समय रहते उनके नाम जोड़े जा सकें। इसके अलावा, बिहार से बाहर रहने वाले मतदाताओं तक पहुंचने के लिए 246 विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित किए गए हैं।

ड्राफ्ट वोटर लिस्ट और आपत्तियां

1 अगस्त 2025 को आयोग ने प्रारूप मतदाता सूची जारी की थी और आपत्तियां दर्ज कराने का अवसर भी दिया था। हालांकि विपक्ष द्वारा कई आरोप लगाए जाने के बावजूद अब तक किसी भी राजनीतिक दल की ओर से आधिकारिक आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले वोटर लिस्ट को लेकर छिड़ा विवाद अभी थमा नहीं है। विपक्ष और चुनाव आयोग के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। हालांकि चुनाव आयोग का दावा है कि सभी मतदाताओं को सूची में शामिल करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और किसी का अधिकार नहीं छीना जाएगा। अब देखना होगा कि 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या नया मोड़ आता है।

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